बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
उत्तर-
सरकार की विफलता के कारण - सरकार की विफलता के प्रमुख कारणों का वर्णन निम्नलिखित किया गया है-
(i) सरकार की विफलता का पहला कारण यह होता है कि सरकार के पास जानकारी सीमित होती है। बाजार प्रणाली के फायदों में से एक यह है कि जब तक बाजार में विफलता व्याप्त न हो वह जानकारी बिना किसी खर्च के माँगता है और प्रदान भी करता है। जब सूचना आगे बढ़ाने की बात आती है तो कोई भी राज्य बाजार से मेल नहीं खा सकता। इसके अलावा, राज्य कभी-कभी भावी घटनाओं का पूर्वाभास कर सही अपेक्षाएँ नहीं कर पाता है। सरकार के पास समन्वय समस्या को पूरी तरह से हल करने के लिए आवश्यक कुल जानकारी का अभाव होता है। सूचना प्राधार अपूर्ण होता है। इसका सबसे अच्छा समाधान यह होता है कि सरकार का यथासंभव विकेंद्रीकरण किया जाए और निर्णय लेने की प्रक्रिया को सहभागी बनाया जाए।
(ii) सरकार की विफलता का दूसरा कारण यह होता है कि सरकार का निजी क्षेत्र या निजी अभिकरणों पर नियंत्रण सीमित होता है। सरकार ऐसे निर्णय ले सकती है जिनके लिए नागरिकों को कुछ काम करने अथवा न करने की आवश्यकता हो, परंतु इसकी प्रशासनिक एवं प्रवर्तन लागत बहुत अधिक हो सकती है। उदाहरण के लिए, शहरों में सरकार विस्तार के आकार विषयक नियम बना सकती है, जो कि आवासों के लिए प्रयोज्य हो सकते हैं, परंतु उनका दंडाभाव के साथ उल्लंघन किया जा सकता है। इसके अलावा, लोकतांत्रिक राजनीति संबंधी विचार भी सरकारी कार्यों को बाधित करते हैं।
(iii) सरकार की विफलता का तीसरा कारण यह होता है कि नौकरशाही पर सरकार का नियंत्रण सीमित होता है। आमतौर पर विधायिका ही अधिनियम व कानून बनाती है और कार्यपालिका उन निर्णयों व कार्यों की कल्पना मात्र कर सकती है, परंतु यह नौकरशाह ही होते है जिन्हें उन्हें लागू करना होता है। कार्यपालिका एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का नौकरशाही पर नियंत्रण सीमित ही हो सकता है क्योंकि यहाँ असममित जानकारी की दशाएँ हो सकती हैं, और नैतिक हानि भय की समस्या नायक के रूप में सरकार और अभिकर्ता के रूप में नौकरशाही के साथ आ सकती है।
(iv) सरकार की विफलता के लिए प्रायः एक अन्य कारण यह दिया जाता है कि राजनीतिक प्रक्रिया द्वारा प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। सरकार के कार्य एवं निर्णय सभी लोगों को प्रभावित करते हैं, परंतु आधुनिक लोकतंत्र में ये निर्णय लोगों के एक छोटे-से समूह द्वारा लिए जाते हैं। इस बिंदु को हमने ऊपर दूसरे कारण पर चर्चा करते हुए छुआ है। पिछले चुनाव में विजयी हुआ दल या गठबंधन ही सरकार बनाता है, और उनके पास अगला चुनाव लड़ने के लिए होता है।
हम विकासशील देशों में सरकार की विफलता को ध्यानपूर्वक क्यों देखते हैं? कई वर्ष पहले नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री गुन्नार मायर्डल ने विकासशील देशों में राज्य का वर्णन करने के लिए एक नरम राज्य की बात कही थी। मायर्डल के अनुसार, राज्य अपने घोषित नीतिगत उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने में सक्षम नहीं होता।
इस तरह की घोषित नीतिगत उद्देश्यों की पूर्ति में असमर्थता संबंधी व्यापक परिघटना के कई कारण हो सकते हैं।
सर्वप्रथम, सरकारी अधिकारी व राजनेता कई मामलों में स्वार्थ सिद्धि का प्रयास करते दिखाई दे सकते हैं। जबकि अर्थशास्त्र में स्वार्थ सिद्धि का प्रयास बहुत अधिक प्रचलित है, जैसा कि हमने पिछले पाठांश में देखा, इस मामले में इन व्यक्तियों के स्वार्थ संगठन या ब्यूरो अथवा कार्यपालिका के उद्देश्यों के विपरीत होते हैं। स्वार्थ सिद्धि का प्रयास न केवल बिकाऊपन और भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है, बल्कि सरकार के साथ-साथ समाज के दृष्टिकोण से भी उप - इष्टतम परिणाम एवं अक्षमता की ओर ले जाता है। भ्रष्टाचार के विषय में हम अगले पाठांश में पढेंगे।
बहरहाल, जैसाकि हमने ऊपर उल्लेख किया, एक अन्य कारण यह है कि चुनावी दबाव कभी-कभी सरकारों को लोक लुभावन उपाय करने और ऐसी नीतियाँ अपनाने के लिए बाध्य कर देते हैं जो दक्षता को बढ़ावा देने वाले परिणामों की ओर नहीं ले जातीं। स्वाभाविक रूप से चुनाव की पूर्व संध्या पर इस प्रकार की स्थिति अधिक होने की संभावना होती है। यह बात राष्ट्रीय सरकारों के साथ-साथ राज्य-स्तरीय सरकारों के लिए भी सही हो सकती है। इससे जुड़ा एक अतिरिक्त कारण यह भी है कि सरकार प्रायः अल्पकालिक परिप्रेक्ष्य को ही ध्यान में रखकर काम करती है। यह बात उन समाधानों के विषय में विशेष रूप से सत्य है जिन्हें सरकार समस्याएँ सुलझाने के लिए खोजने का प्रयास कर रही है। अल्पकालिक समाधान खोजने का प्रयास अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन नहीं ला सकता। इससे कई समस्याएँ अनसुलझी ही रह जाती हैं।
(v) सरकार की विफलता का एक अन्य कारण यह भी है कि किसी विशिष्ट नीतिगत उद्देश्य या सामाजिक लक्ष्य से प्रेरित सरकारी कार्रवाहियाँ कभी-कभी निरुत्साहन प्रभाव पैदा करती हैं, जिससे पुनः इष्टतम समाधान या परिणाम नहीं प्राप्त होता। उदाहरण के लिए, सरकार कुछ सामाजिक उद्देश्य पूरे करने की इच्छा से प्रेरित हो सकती है, परंतु वह ऐसी कराधान नीति अपना लेती है जो अर्थव्यवस्था में विकृतियाँ पैदा कर देने वाली और राजस्व कम कर देने वाली होती है।
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